इस बार के आम चुनावों में भाजपा के अभूतपूर्व प्रदर्शन के बाद छोटे राजनैतिक दलों के सामने अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाये रखने का बड़ा संकट उभर कर सामने आया है अब चुनाव आयोग द्वारा उस पर कानूनी मोहर लगने वाली है क्योंकि इन चुनावों में आयोग की राष्ट्रीय पार्टी होने की शर्तों पर पहले खरी उतरने वाली सीपीआई, बसपा और एनसीपी को उतने वोट और सीटें नहीं मिल पायी हैं जिनके दम पर ये दल अपने को राष्ट्रीय दल कहलाने के हक़दार बने हुए थे. चुनाव आयोग के निर्देशों…
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चुनाव आयोग और निष्पक्षता
इस बार के आम चुनावों में जिस तरह से नेताओं द्वारा अपनी खीझ को ख़त्म करने के लिए चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति पर भी काम किया गया वह अपने आप में बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि आयोग के काम काज पर पूरे देश की नज़रें टिकी रहती हैं और आज के समय में आयोग के पास वह सब कुछ है जिसके दम पर वह देश में निष्पक्ष चुनाव कराने में हर बार ही सफल रहा करता है. इस बार जिस तरह से मुद्दों पर व्यक्तिगत आरोपों…
Read Moreचुनाव ड्यूटी और राज्य के अधिकारी
इस बार चुनाव होने के माहौल के साथ ही जितनी बड़ी संख्या में पार्टियों और प्रत्याशियों द्वारा मतदान के निष्पक्ष होने पर सवाल लगाये हैं वह संभवतः शेषन के युग के बाद पहली बार ही हुआ है क्योंकि इस बार चुनाव केवल राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति से बढ़कर असभ्यता की सारी सीमायें पार करते हुए ही दिखे हैं. इस सबके बीच शांति के साथ काम करने वाले किसी भी चुनाव आयुक्त की कार्यशैली संभवतः राजनैतिक दलों को रास नहीं आ रही है इसीलिए उनकी तरफ से इस बार आयोग…
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